Bio Fertilizer - Jaiv Urvarak

हिमालया (रायजोबियम)
फसल की जड़ो की गठानो में रहकर सहजीवी पद्धति से नत्र स्थिर करने वाला यह रायजोबियम सवर्धक सोयाबीन,चना,मुंग, उड़द, अरहर, राजमा, मूंगफली व बरसीम इत्यादि फसलो में उपयोग कर जमीन की उर्वरा क्षमता तथा पैदावार बढ़kईये I
बीजोप्चार( Seed treatment) :-
- इस पैकेट का 200-500 मि.लीटर पानी में घोल बनाये I घोल का एक एकड़ की बुआई के लिए पर्याप्त बीजो पर, एक सा लेपन करे, ध्यान रहे कि बीजो का छिलका न उतरे I
- बुआई के लिए ठंडे समय का चुनाव करे एवं उपचारित बीजो को छाया में सुखाकर तुरंत बुआई कर दे I
- पारायुक्त औषधियो से उपचारित बीजो के लिए कल्चर की दुगनी मात्रा का प्रयोग करे I
कंद एवं जड़ उपचार :-
- एक एकड़ की रोपाई के लिए कल्चर के चार पैकेटो का लगभग एक लीटर पानी में घोल तैयार करे I
- पौध, जड़ या कंद को 30 मिनट के लिए घोल में डुबो दे I बाद में तुरंत ठंडे में रोपाई कर दे I
लाभान्वित फसले :-सोयाबीन, चना, मुंग, उड़द, अरहर, राजमा, मूंगफली व बरसीम इत्यादि I
चेतावनी :इस पैकेट को धुप व गर्मी से बचाये तथा इसे ठंडे एवं सूखे स्थान पर रसायनों से दूर रखेI
सावधानिया :1. जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित बीज रासायनिक खाद तथा अन्य औषधियों में मिलाकर उपयोग न करे I 2. फफूंदनाषक या कीटनाशक उपचार के पश्चात् ही जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित करे I 3. जीवाणु संवर्धक की थेलिया छायादार स्थान पर रखे I 4. यह थेली प्रयोग की अंतिम तिथि(एक्सपायरी डेट) के पहले अवश्य उपयोग कर लेंवे I

हिमालया माइक्रोराइजा बायोफ़र्टिलाइज़र :
हिमालया माइक्रोराइजा की विशेषताये :1. हिमालया में जैव माइक्रोराइजा के अतिरिक्त अन्य अत्यन्त प्रभावशाली पौध विकास उत्प्रेरक सम्मिलित है जो पौधों की जड़ो तथा पत्तियों का विकास सुनिश्चित करके पैदावर बढाता है I 2. यह आधुनिक तकनीक से बना जड़ उत्तेजक है जिसके कारण अन्य माइक्रोराइजा फ़र्टिलाइज़र की तुलना में कम मात्रा में प्रयोग करके बेहतर परिणाम पाये जा सकते है I 3. हिमालया माइक्रोराइजा जड़ो का विकास सुनिश्चित करके मिटटी में पाये जाने वाले फास्फोरस के अतिरिक्त अन्य पोषक तत्वों को उपलब्ध कराकर पैदावार बढाता है I
हिमालया माइक्रोराइजा के लाभ :
- बेहतर पैदावार
- जड़ो का विकास
- बेहतर वानस्पतिक बढवार
- भूमि की उर्वरा शक्ति बढाता है
- लम्बी, गहरी व फैलावदार जड़े
- मिट्टी के जीवाणुओं के प्रति सहनशील
- पौधे को पानी की अधिक उपलब्धता
- पौधे को विभिन्न पोषक तत्वों की आपूर्ति
- सुखा सहन करने की क्षमता में विकास
उपयोग की मात्रा :2.5 कि.ग्रा. प्रति एकड़
प्रयोग का समय :बुआई के समय अथवा पहली सिंचाई के समय
नोट :हिमालया माइक्रोराइजा का प्रयोग सभी प्रकार की फसलो, सब्जियों तथा फलदार फसलो में सफलता पूर्वक किया जा सकता है I

हिमालया जिंक मोबीलायझर :
रोपण एवं अंकुरण पश्चात् बोयी जाने वाली फसलो का बीजोपचार :एक हेक्टेयर को लगने वाले बीज( गन्ना एवं अंकुरण पश्चात् बोई जाने वाली फसलो) के लिए 10 किलो जिंक घोलक जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) का 100 से 150 लीटर पानी में घोल तैयार करे I उसमे बीज को 15 से 20 मिनिट तक डुबोने के पश्चात् छायादार स्थान पर सुखाकर तुरंत बुआई करे I
अन्य सभी फसलो का बीजोपचार (Seed Treatment) :1 से 2 किलो जीवाणु संवर्धक 20 से 30 किलोग्राम बीज के लिए उपयोग करे I इस संवर्धक का आवश्यक पानी में (3 से 5 लीटर) घोल तैयार करे जो बीज पर समान मात्रा में लग सके I इसे बीज पर हल्के हाथो से मले तत्पश्चात यह बीज छायादार स्थान पर स्वच्छ कागज, चटाई या बारदान पर फैलाकर सुखाने के पश्चात् बुआई करे I
मृदा उपचार (Soil Application) :अनुशंसा के अनुसार प्रति हेक्टेयर 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) एक बैलगाड़ी गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में समान मात्रा में मिलाकर उसमे 30 से 35% तक गीलापन बना रहे तदनुसार स्वच्छ पानी मिलाकर रातभर अथवा 2 से 3 दिन तक रखे तत्पश्चात यह मिश्रण बुआई खेत में सरी में समान मात्रा में मिलाकर उपयोग करे I
टिप्पणी :जिंक घोलक जीवाणु संवर्धक एजेटोबेक्टर और स्फुर घोलक जीवाणु संवर्धक के साथ मिलाकर बीजोपचार / मृदा उपचार में उपयोग करे जिससे अधिकतम फायदा होगा I
फसले :यह जीवाणु संवर्धक गन्ना फसल के अतिरिक्त :- गेंहू, केला, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, अंगुर, नारियल आदि फलदार, शोभाकार, रोपवाटिका हरित – गृह(ग्रीन हाउस) आदि अन्य सभी फसलो के लिए उपयोगी है I
आवश्यक सावधानियाँ
- जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित बीज रासायनिक खाद या अन्य औषधियों में मिलाकर उपयोग न करे I
- फफूंदनाशक या कीटनाशक उपचार के पश्चात ही जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित करे I
- जीवाणु संवर्धक की थेलियाँ छायादार स्थान पर रखे I
- यह थेली प्रयोग की अंतिम तिथि(एक्सपायरी डेट) के पहले अवश्य उपयोग कर लेंवे I

हिमालया सल्फ़र जीवाणु :
क्षमता विशेषता : स्पेक्ट्रोमीट्रिक परीक्षण से किस्म में न्युनतम 30% की रेंज में सल्फ़र को घोलने की क्षमता है I जोन बनने के हिसाब से निर्धारित माध्यम में न्युनतम 5 मिली. घुलनशील जोन जिसकी मोटाई न्यूनतम 5 मिली. घुलनशील जोन जिसकी मोटाई न्यूनतम 3 मिली. होती है I सल्फ़र जीवाणु (तरल जैव उर्वरक): सल्फ़र दूसरा महत्वपूर्ण पोषक तत्व है जो जड़ बनाने और पौधे के विकास में सहायक होता है I सल्फ़र अघुलनशील रूप में जमीन में पाया जाता है इसमें से लगभग 1-2% ही पौधों को उपलब्ध हो पाता है सल्फ़र जीवाणु में सल्फ़र विलायक बेक्टेरियाँ का बहुत असरदार कोशिकाकुंज होता है जो अघुलनशील सल्फ़र को सरल और घुलनशील रूप देने में मदद करता है I
लाभान्वित फसले :सल्फ़र जीवाणु जैव उर्वरक से लाभान्वित गैर दलहनी फसले जैसे गन्ना,चावल, चरी, गेंहू, जौ, मक्का, रागी, चारा, फसलो, सब्जियों और इत्यादि फसलो के लिए लाभदायक है I
प्रयोग विधि :बीज उपचार : सल्फ़र जीवाणु 5-10 मिली /किग्रा बीज की दर से लेकर पर्याप्त मात्रा में घोल बनाये इससे बीजो को उपचारित करे व 10 मिनिट छाया में सुखाकर तुरंत बुआई कर दे I
पौध उपचार :एक एकड़ के लिए आवश्यक पौधों के लिए 50-100 मिली सल्फर जीवाणु को 20- 30 लीटर साफ़ पानी में मिलाये इस मिश्रण में जड़ो को 30 मिनिट डुबोये तथा तुरंत खेत में प्रतिरोपित करे I
मृदा उपचार :1 एकड़ क्षेत्र के लिए 2.5 – 5 लीटर सल्फ़र जीवाणु को 30-40 कि.ग्रा. गोबर की अच्छी पकी हुई खाद में या मिट्टी में मिलाये तथा अंतिम जुताई या सिंचाई से पूर्व खेत में बिखरे I
पर्यावरण सुरक्षा :सल्फ़र जीवाणु पूरी तरह प्रदुषण मुक्त सामग्री है और पर्यावरण,पौधों, पशुओ और मानव के लिए हानिकारक नही है I
सावधानियाँ :
- उपचारित बीजो को ठंडी जगह पर छाया में सुखाना चाहिए और दो-तीन घंटो के अन्दर बोवनी कर देना चाहिए I
- यह भी सलाह दी जाती है कि सल्फ़र जीवाणु को सीधा रासायनिक उर्वरक के साथ न मिलावे I
- इस उत्पादन को सीधी धुप से दूर ठंडी और शुष्क जगह पर रखना चाहिए I
- यदि बीजो का उपचार सिन्थेटिक रसायनों से किया गया है I तो फ़ॉर्मूले की दुगनी मात्रा का उपयोग करे I
- बाटल की संपूर्ण मात्रा एक ही समय पर प्रयोग कर लेनी चाहिए I
- मृदा उपचार फसल की प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई के साथ करना चाहिए I बाटल को खाली करने के बाद उसमे साफ़ पानी की कुछ मात्रा लेकर उसे अच्छी तरह मिला ले तथा इस मात्रा को उपचार के साथ मिला दे I

हिमालया पोटाश – मोबिलायझर :
रोपण एवं अंकुरण पश्चात् बोयी जाने वाली फसलो का बीजोपचार :एक हेक्टेयर को लगने वाले बीज( गन्ना एवं अंकुरण पश्चात् बोई जाने वाली फसलो) के लिए 10 किलो पोटाश घोलक जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) का 100 से 150 लीटर पानी में घोल तैयार करे I उसमे बीज को 15 से 20 मिनिट तक डुबोने के पश्चात् छायादार स्थान पर सुखाकर तुरंत बुआई करे I
अन्य सभी फसलो का बीजोपचार (Seed Treatment) :1 से 2 किलो जीवाणु संवर्धक 20 से 30 किलोग्राम बीज के लिए उपयोग करे I इस संवर्धक का आवश्यक पानी में (3 से 5 लीटर) घोल तैयार करे जो बीज पर समान मात्रा में लग सके I इसे बीज पर हल्के हाथो से मले तत्पश्चात यह बीज छायादार स्थान पर स्वच्छ कागज, चटाई या बारदान पर फैलाकर सुखाने के पश्चात् बुआई करे I
मृदा उपचार (Soil Application) :अनुशंसा के अनुसार प्रति हेक्टेयर 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) एक बैलगाड़ी गोबर खाद या कम्पोस्ट खाद में समान मात्रा में मिलाकर उसमे 30 से 35% तक गीलापन बना रहे तदनुसार स्वच्छ पानी मिलाकर रातभर अथवा 2 से 3 दिन तक रखे तत्पश्चात यह मिश्रण बुआई खेत में सरी में समान मात्रा में मिलाकर उपयोग करे I
टिप्पणी :पोटाश घोलक जीवाणु संवर्धक एजेटोबेक्टर और स्फुर घोलक जीवाणु संवर्धक के साथ मिलाकर बीजोपचार / मृदा उपचार में उपयोग करे जिससे अधिकतम फायदा होगा I
फसले :यह जीवाणु संवर्धक गन्ना फसल के अतिरिक्त :- गेंहू, केला, ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, अंगुर, नारियल आदि फलदार, शोभाकार, रोपवाटिका हरित – गृह(ग्रीन हाउस) आदि अन्य सभी फसलो के लिए उपयोगी है I
आवश्यक सावधानियाँ :
- जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित बीज रासायनिक खाद या अन्य औषधियों में मिलाकर उपयोग न करे I
- फफूंदनाशक या कीटनाशक उपचार के पश्चात ही जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित करे I
- जीवाणु संवर्धक की थेलियाँ छायादार स्थान पर रखे I
- यह थेली प्रयोग की अंतिम तिथि(एक्सपायरी डेट) के पहले अवश्य उपयोग कर लेंवे I

हिमालया (पी.एस.बी.) :
रोपण एवं अंकुरण पश्चात् बोयी जाने वाली फसलो का बीजोपचार :एक हेक्टेयर को लगने वाले बीज( गन्ना एवं अंकुरण पश्चात् बोई जाने वाली फसलो) के लिए 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) का 100 से 150 लीटर पानी में घोल तैयार करे I उसमे बीज को 15 से 20 मिनिट तक डुबोने के पश्चात् छायादार स्थान पर सुखाकर तुरंत बुआई करे I
अन्य सभी फसलो का बीजोपचार (Seed Treatment) :1 से 2 किलो जीवाणु संवर्धक 20 से 30 किलोग्राम बीज के लिए उपयोग करे I इस संवर्धक का आवश्यक पानी में घोलकर , घोल तैयार करे जो बीज पर समान मात्रा में लग सके, तत्पश्चात यह बीज छायादार स्थान पर स्वच्छ कागज, चटाई या बारदान पर फैलाकर सुखाने के पश्चात् बुआई करे I
मृदा उपचार (Soil Application) :अनुशंसा के अनुसार प्रति हेक्टेयर 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) एक बैलगाड़ी गोबर खाद (अंदाजन 500 किलो ) या कम्पोस्ट खाद में समान मात्रा में मिलाकर उसमे 30 से 35% तक गीलापन बना रहे तदनुसार स्वच्छ पानी मिलाकर रातभर रखे तत्पश्चात यह मिश्रण बुआई खेत में सरी में समान मात्रा में मिलाकर उपयोग करे I
फसले :यह जीवाणु संवर्धक गन्ना फसल के अतिरिक्त :- गेंहू,ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, हल्दी ,तम्बाकु ,आलु ,बैंगन ,टमाटर ,दलहनी ,तिलहनी फसलो के अलावा सब्जियों ,केला ,अनार ,अंगूर ,नारियल आदि फलदार, शोभाकार, रोपवाटिका हरित – गृह(ग्रीन हाउस) आदि अन्य सभी फसलो के लिए उपयोगी है I
आवश्यक सावधानियाँ :
- जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित बीज रासायनिक खाद या अन्य औषधियों में मिलाकर उपयोग न करे I
- फफूंदनाशक या कीटनाशक उपचार के पश्चात ही जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित करे I
- जीवाणु संवर्धक की थेलियाँ छायादार स्थान पर रखे I
- यह थेली प्रयोग की अंतिम तिथि(एक्सपायरी डेट) के पहले अवश्य उपयोग कर लेंवे I

हिमालया एजोस्पायरिलम स्पीपी. :
हिमालया एजोस्पायरिलम :एयह एक राइजोबेक्टीरियम का उत्पाद है I यह बेक्टीरिया पौधों की जड़ो में सहयोगी रूप से रहता है I हिमालया एजोस्पायरिलम अधिक नाइट्रोजन संचय करने की क्षमता रखता है I हिमालया एजोस्पायरिलम गेंहू,चावल ,मक्का,ज्वार, बाजरा, चारे व गन्ने की फसल के लिए अल्प लागत में ज्यादा लाभ देने वाला उत्पाद है I
प्रयोग विधि :
बीज उपचार :हिमालया एजोस्पायरिलम 250 ग्राम प्रति 30 किलोग्राम बीज की दर से पर्याप्त पानी में घोल बनाये, इस घोल से बीजो को उपचारित की छाया में सुखाये और तुरंत बुआई करे I
मृदा उपचार :एक एकड़ क्षेत्र के लिए 4 किलोग्राम हिमालया एजोस्पायरिलम को 30-40 किलोग्राम गोबर की खाद / मिट्टी में मिलाये,अंतिम जुताई के समय या पहली सिंचाई से पुर्व 1 एकड़ क्षेत्र में बिखरे I
पर्यावरण सुरक्षा :हिमालया एजोस्पायरिलम पूर्ण रूप से प्रदुषण रहित है और वातावरण, जानवरों और मनुष्यों के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित है I
लाभान्वित फसले : गन्ना,चावल,मक्का,ज्वार,गेंहू,बाजरा,कोदो,कुटकी,रागी,जौ,जई आदि I
सावधानियॉ :
- घोल में भीगे बीजो को छाया में सुखाकर 2-3 घंटो के अंदर बुआई कर देवें I
- एजोस्पायरिलम जीवाणु को कभी भी नाइट्रोजन खाद के साथ नही मिलाये I
- उत्पाद को हमेशा धुप से बचाकर ठंडी और सुखी जगह में रखे I
- अगर बीजो पर कोई रसायन उत्पाद लगाया गया है जो इस उत्पाद की दुगनी मात्रा का प्रयोग करे I
- पैकेट की सम्पूर्ण मात्रा को एक ही बार में इस्तेमाल करे I
- मृदा उपचार फसल की प्रारंभिक अवस्था में सिंचाई के साथ करे I

हिमालया एजेटोबेक्टर कल्चर :
रोपण एवं अंकुरण पश्चात् बोयी जाने वाली फसलो का बीजोपचार :एक हेक्टेयर को लगने वाले बीज( गन्ना एवं अंकुरण पश्चात् बोई जाने वाली फसलो) के लिए 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) का 100 से 150 लीटर पानी में घोल तैयार करे I उसमे बीज को 15 से 20 मिनिट तक डुबोने के पश्चात् छायादार स्थान पर सुखाकर तुरंत बुआई करे I
अन्य सभी फसलो का बीजोपचार (Seed Treatment) :1 से 2 किलो जीवाणु संवर्धक 20 से 30 किलोग्राम बीज के लिए उपयोग करे I इस संवर्धक का आवश्यक पानी में घोलकर , घोल तैयार करे जो बीज पर समान मात्रा में लग सके, तत्पश्चात यह बीज छायादार स्थान पर स्वच्छ कागज, चटाई या बारदान पर फैलाकर सुखाने के पश्चात् बुआई करे I
मृदा उपचार (Soil Application) :अनुशंसा के अनुसार प्रति हेक्टेयर 10 किलो जीवाणु संवर्धक (प्रति एकड़ 4 किलो) एक बैलगाड़ी गोबर खाद (अंदाजन 500 किलो ) या कम्पोस्ट खाद में समान मात्रा में मिलाकर उसमे 30 से 35% तक गीलापन बना रहे तदनुसार स्वच्छ पानी मिलाकर रातभर रखे तत्पश्चात यह मिश्रण बुआई खेत में सरी में समान मात्रा में मिलाकर उपयोग करे I
फसले :यह जीवाणु संवर्धक गन्ना फसल के अतिरिक्त :- गेंहू,ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, हल्दी ,तम्बाकु ,आलु ,बैंगन ,टमाटर ,दलहनी ,तिलहनी फसलो के अलावा सब्जियों ,केला ,अनार ,अंगूर ,नारियल आदि फलदार, शोभाकार, रोपवाटिका हरित – गृह(ग्रीन हाउस) आदि अन्य सभी फसलो के लिए उपयोगी है I
आवश्यक सावधानियाँ :
- जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित बीज रासायनिक खाद या अन्य औषधियों में मिलाकर उपयोग न करे I
- फफूंदनाशक या कीटनाशक उपचार के पश्चात ही जीवाणु संवर्धक द्वारा उपचारित करे I
- जीवाणु संवर्धक की थेलियाँ छायादार स्थान पर रखे I
- यह थेली प्रयोग की अंतिम तिथि(एक्सपायरी डेट) के पहले अवश्य उपयोग कर लेंवे I

हिमालया नेचुरल कोकोपीट :
नेचुरल कोकोपीटको किसानों द्वारा विशेष रूप से नर्सरी में पौधो के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है, इससे मिर्ची, बैंगन, टमाटर, गेंदा, तरबुज,खरबुज एवं अन्य कई प्रकार की सब्जियों के रोप का इस्तेमाल किया जाता है I यह जमीन एवं सीडलींग ट्रे दोनों रूप में उपयोग किया जाता है जिसके बहुत उत्कृष्ठ परिणाम किसान भाइयो के समक्ष उपलब्ध है एवं किसान भाइयो को सब्जियों की रोप तैयार करने की एक नई राह मिली है
- नेचुरल कोकोपीट एक 100 प्रतिशत प्राकृतिक पदार्थ है जो बीजो की अंकुरण क्षमता बढ़ाता है I
- नेचुरल कोकोपीट पौधे के विकास के लिए उत्कृष्ठ माध्यम है I
- नेचुरल कोकोपीट मिटटी की भौतिक एवं जैविक हालात सुधारने का एक महत्त्वपूर्ण माध्यम है I
- नेचुरल कोकोपीट पौधों में उच्च नमी को बनाए रखता है I
- नेचुरल कोकोपीट मजबूत एवं स्वस्थ जड़ तंत्र प्रणाली को बढ़ाता है तथा हवा के वातन को बनाए रखता है I
- नेचुरल कोकोपीट में एंजाइम एवं सूक्ष्म पोषक तत्व प्राकृतिक रूप से शामिल है I
- नेचुरल कोकोपीट को 110 डिग्री से पर स्ट्रेलाइज़ किया जाता है जो फंगस एवं बैक्टिरिया रहित है I
- नेचुरल कोकोपीट में बने पौधों की जड़े काफी घनी, स्वेत एवं स्वस्थ होती है, खेत में लगाने के बाद पौधे की वृध्दि प्रभावित नही होती है I
- कोकोपीट में बने पौधों में रोगों से लड़ने की क्षमता अधिक होती है जिससे उत्पादन अधिक मिलता है I